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Showing posts from March, 2024

'बेरोजगारी, कारण और उपाय' निबंध 1000 शब्दों में

सामान्यतः कहा जाता है 'जिसके पास रोजगार नहीं वह है बेरोजगार'। बेरोजगारी कई प्रकार के होते है, आइये समझते है बेरोजगारी से क्या प्रभाव पड़ता हैं। बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति काम की तलाश करता है, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही होती है। बेरोजगारी के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. नौकरी के लिए उपलब्धता की कमी: बेरोजगार व्यक्ति को नौकरी के लिए संघर्ष करते हुए भी उचित रूप से उपलब्ध नौकरियों की कमी का सामना करना पड़ता है। 2. आर्थिक संकट: बेरोजगारी से ग्रसित व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें आय की कमी होती है और वे अपनी आर्थिक सामर्थ्य में कठिनाई का सामना करते हैं। 3. असंतोष: बेरोजगार व्यक्ति में नौकरी के अभाव से असंतोष की भावना हो सकती है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। 4. आत्मविश्वास की कमी: लंबे समय तक बेरोजगारी का सामना करने वाले व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो सकता है, जो उनके भविष्य के प्रति आशंकाओं को बढ़ा सकता है। 5. सामाजिक दृष्टिकोण: बेरोजगारी समाज में आत्मसम्मान का कमी, समाजिक अलगाव और स्थितिगत असुरक्षा का

तुलसीदास की विशेषताएँ एवं कृतियाँ

तुलसीदास, एक महान संत, कवि, और समाज-सुधारक थे, जिनका योगदान भारतीय साहित्य और धर्म के क्षेत्र में अविस्मरणीय रहा है। उनकी विशेषताएं उन्हें एक अद्वितीय कवि बनाती हैं। यहां कुछ मुख्य विशेषताएं हैं: 1. रामचरितमानस के रचयिता: तुलसीदास ने भगवान राम के जीवन को विस्तृत रूप से वर्णन करने वाले "रामचरितमानस" का रचनाकारी किया। इस ग्रंथ में उन्होंने भगवान राम के लीला, भक्ति, और धर्म को व्यक्त किया। 2. भक्तिभाव: तुलसीदास की कविताओं में भक्ति का भाव अत्यंत प्रभावशाली रहा है। उनकी रचनाओं में भगवान के प्रति उनकी अद्वितीय भक्ति और प्रेम का प्रकटीकरण होता है। 3. साधुत्व और संयम: तुलसीदास जीवन में साधुत्व और संयम की प्राचीन भारतीय शिक्षाओं का पालन करते थे। उन्होंने अपने जीवन में निष्काम कर्म का उदाहरण प्रस्तुत किया। 4. लोकप्रिय भाषा: तुलसीदास ने अपनी कविताओं को अवगत भारतीय जनता तक पहुंचाने के लिए सामान्य भाषा का उपयोग किया। इससे उनकी कविताओं को लोकप्रियता मिली और उनका संदेश व्यापक रूप से प्रसारित हुआ। 5. सामाजिक सुधारक: तुलसीदास को सामाजिक सुधारक के रूप में भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में जात

मलिक मोहम्मद जायसी पर 2000 शब्दों में निबंध

मलिक मोहम्मद जायसी, भारतीय साहित्य के अद्वितीय रत्न में से एक हैं। उनका जन्म 16 अगस्त 1835 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के रहमानपुरा गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम नवाब मोल्ला रघुबीर सिंह था, जो एक ब्राह्मण परिवार से संबंधित थे। जायसी का असली नाम 'नवाब मलिक मोहम्मद अब्दुल्ला' था, लेकिन उन्हें 'जायसी' के नाम से ही जाना जाता है। जायसी की शिक्षा अपने पिता और पंडित बच्चेलाल द्वारा दी गई थी। वे उर्दू, फारसी, अरबी, और संस्कृत भाषाओं के पाठ्यक्रम के साथ-साथ अंग्रेजी भी अच्छे से जानते थे। जायसी ने अपनी कविताओं में समाज के विभिन्न पहलुओं, धर्म, और समाजिक मुद्दों पर विचार किया। उनकी कविताएं साहित्यिक गहराई, तात्पर्य, और उत्कृष्टता से भरी होती थीं। जायसी की प्रमुख रचनाओं में "हुमायूननामा", "जवाहरलालनामा", "असरार-उल-सनादिद", "बालदस", और "जोनाराज" शामिल हैं। उनकी कविताएं उर्दू और हिंदी साहित्य के स्वर्णिम अध्यायों में गिनी जाती हैं और उन्हें उत्कृष्ट कवियों में से एक माना जाता है। जायसी की कविताओं में सामाजिक न्याय, धर्म, और आत

गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध 2000 शब्दों में

तुलसीदास: भारतीय साहित्य के महान कवि प्रस्तावना: तुलसीदास, भारतीय साहित्य के सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रभावशाली कवियों में से एक हैं। उनका जीवन और उनके रचनाकारी कौशल भारतीय साहित्य और धार्मिक परंपरा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस निबंध में, हम तुलसीदास के जीवन, उनके काव्य, और उनके योगदान के प्रति विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। तुलसीदास का जीवन: तुलसीदास का जन्म सन् १५०९ में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जिला प्रयाग (वर्तमान उत्तर प्रदेश के बागपत जिला) में हुआ था। उनके पिता का नाम अतिमहार्षि मुकुंददास और माता का नाम हुलसी था। उनका असली नाम रामचंद्र था, और वे कायस्थ जाति के थे। उनके परिवार में संस्कृत और हिंदी साहित्य के प्रति गहरा श्रद्धा था, और यह उन्हें साहित्यिक रूप से प्रभावित करने में मदद की। तुलसीदास की शिक्षा और आध्यात्मिक जीवन: तुलसीदास को व्याकरण, वेद, पुराण, और साहित्य का अद्वितीय ज्ञान प्राप्त था। उन्होंने नारदपंचरात्र, रामायण, भागवत, महाभारत, उपनिषद, वेदांत, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्हें संस्कृत और अवधी की शिक्षा भी मिली थी। तुलसीदास ने ब्रह्मचर्य

CAA क्या है? आइए जानते है

> CAA का फुल फॉर्म सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (नागरिकता संशोधन अधिनियम) है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आए 6 धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय (हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी। CAA 2019 का उद्देश्य गैर-मुस्लिम प्रवासियों जिनमें हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। CAA 2019 के तहत, भारतीय नागरिकता केवल उन्हें मिलेगी जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लिए हुए थे।इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे। इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन रखी गई है। जिसमें आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए थे। क्या भारतीय नागरिकों को CAA 2019 से पड़ेगा प्रभाव नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA 2019 से भारतीय नागरिकों का कोई सरोकार नहीं है, इस संशोधन से उन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

वात्सल्य कवि सूरदास

सूरदास (सन् १४७८ - सन् १५३५) एक प्रमुख हिंदी साहित्यकार थे जिन्होंने भक्ति काव्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म ब्रज राज्य के रुन्धाली गाँव में हुआ था। सूरदास का जीवन बहुत ही रोमांचक और भक्ति-भाव से भरा रहा है। उनका जन्म सन् १४७८ में हुआ था। उनके पिता का नाम रामचंद्र, और माता का नाम कृष्णा था। सूरदास के जीवन के बारे में बहुत सारी कथाएँ हैं, लेकिन उनकी वास्तविक जीवनी के बारे में स्पष्टता से जानकारी नहीं है। उनका बचपन गाँव में बीता, और उनके परिवार का व्यापारिक व्यवसाय था। सूरदास ने बचपन से ही भगवान कृष्ण की भक्ति में अपना जीवन लीन किया। उनका जीवन प्रमुख रूप से भक्ति, संगीत, और कविता के क्षेत्र में गुजरा। उनकी कविताओं में भक्ति और प्रेम के भावों का सजीव वर्णन है। सूरदास को वात्सल्य कवि के रूप में भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में मातृ-पितृ और भगवान कृष्ण के बीच वात्सल्य भाव का गहरा अनुभव दिखाया गया है। उन्होंने भगवान कृष्ण को अपने बचपन के युग के संबंध में वात्सल्य से देखा सूरदास के कई दोहे और पद उनके वात्सल्य भाव को अद्वितीय रूप से व्यक्त करते हैं और उन्हें वात्सल्य कवि

पेपर लीक, कौन है जिम्मेवार ? परीक्षा से पहले वायरल

आखिर क्यूँ हो जा रहे है पेपर लीक ? कौन है जिम्मेवार ? सरकार क्यों नहीं मानती पेपर लीक हुआ ? नकल माफिया पर क्यों नहीं होती कार्यवाही ? इसी तरह कई सवाल हैं जो आपके जेहन में उठते होंगे; पर क्या है इसका जवाब पेपर लीक होने की घटना जो अभी हाल ही में जिस तरह से उत्तर प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के प्रश्नोत्तर परीक्षा से कई घंटे पहले वायरल, लोक सेवा आयोग आरओ-एआरओ का पेपर लीक हुआ, यूपी बोर्ड का मैथ्स और बायोलॉजी का पेपर परीक्षा से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया वो एक गंभीर मामला है जो शैक्षिक प्रक्रिया, छात्रों के मनोबल और उनके परिवार को प्रभावित करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पेपर लीक की घटनाएं पहले भी कई राज्यों जैसे- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और बिहार में कई दफ़ा हो चुकी हैं और परीक्षा में नकल और पेपर लीक की घटना रुकने का नाम नहीं ले रहा यह बहुत ही चिंता का विषय है। पेपर लीक कई कारणों से हो सकता है। यहाँ कुछ मुख्य कारण हैं: 1. अन्यायिक या भ्रष्ट अभियांत्रिक: कुछ अभियांत्रिक या परीक्षा संचालक अन्यायपूर्ण तरीके से पेपर को लीक कर सकते हैं। 2. सुरक

सूर्यघर योजना क्या है ? सूर्यघर योजना के लाभ

सूर्यघर योजना भारत में एक सरकारी पहल है जो आवासीय उद्योगों में सोलर ऊर्जा के अनुदान को प्रोत्साहित करने के लिए है। इस योजना का उद्देश्य छतों पर सोलर पैनल या सोलर वॉटर हीटर लगाने के लिए सब्सिडी या वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना है। यह योजना पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करने, प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने का उद्देश्य रखती है। सूर्यघर योजना के कई लाभ हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. ऊर्जा बचत: सौर ऊर्जा का उपयोग करके घरों में ऊर्जा की बचत की जा सकती है। यह बिजली और ऊर्जा के बिलों को कम करने में मदद कर सकता है। 2. पर्यावरण का संरक्षण: सौर ऊर्जा का उपयोग करने से विद्युत उत्पादन में जल और वायु प्रदूषण की मात्रा कम होती है। इससे पर्यावरण की रक्षा होती है। 3. अतिरिक्त आय: अगर सौर ऊर्जा प्रणाली अत्यधिक ऊर्जा उत्पादित करती है, तो आप अतिरिक्त ऊर्जा को बिक्री के लिए बेच सकते हैं और इससे आपको अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है। 4. स्वावलंबन: सौर ऊर्जा का उपयोग करके, घरेलू उपयोग के लिए ऊर्जा की स्वावलंबनता बढ़ाई जा सकती है। यह स्वतंत्रता का एक माध्यम प्रदान करता

कबीरदास के बारे में सबकुछ पढ़िए यहां पर, एग्जाम में यहीं लिख दिया तो पूरे के पूरे नंबर मिलेंगे

कबीरदास एक प्रमुख भारतीय संत, कवि, और समाज-सुधारक थे। उनकी रचनाएँ और दोहे आज भी बहुत प्रसिद्ध हैं और उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथ भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। कबीरदास के विचार और उनकी रचनाओं में समाज, धर्म, और मानवता के मूल्यों का महत्वपूर्ण संदेश है। वे समाज में सामाजिक बदलाव के पक्षधर थे और अपने दोहों के माध्यम से लोगों को धार्मिकता और समर्थन प्रदान किया। कबीरदास का जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ था, और उनका जीवन 15वीं और 16वीं शताब्दी के बीच में था। उनका जीवन सामान्यतः 1398 ईसा पूर्व से 1518 ईसवी के बीच माना जाता है। कबीरदास का समय मुग़ल साम्राज्य के समय में था। उनके समय में भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक उत्थान का काल था। मुग़ल साम्राज्य के शासन के दौरान ही कबीर के द्वारा समाज में धार्मिक जागरूकता का प्रचार किया गया। कबीर का जीवन साधारणत: अवध क्षेत्र में व्यतीत हुआ, और उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा वाराणसी में गुजारा। उनके जीवन के बारे में कुछ ऐतिहासिक आकड़े स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई रचनाएँ और उनके द्वारा जीवन में किए गए कार्य उनके महत्वपूर्ण योगदान क