सामान्यतः कहा जाता है 'जिसके पास रोजगार नहीं वह है बेरोजगार'। बेरोजगारी कई प्रकार के होते है, आइये समझते है बेरोजगारी से क्या प्रभाव पड़ता हैं। बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति काम की तलाश करता है, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही होती है।
बेरोजगारी के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
1. नौकरी के लिए उपलब्धता की कमी: बेरोजगार व्यक्ति को नौकरी के लिए संघर्ष करते हुए भी उचित रूप से उपलब्ध नौकरियों की कमी का सामना करना पड़ता है।
2. आर्थिक संकट: बेरोजगारी से ग्रसित व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें आय की कमी होती है और वे अपनी आर्थिक सामर्थ्य में कठिनाई का सामना करते हैं।
3. असंतोष: बेरोजगार व्यक्ति में नौकरी के अभाव से असंतोष की भावना हो सकती है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।
4. आत्मविश्वास की कमी: लंबे समय तक बेरोजगारी का सामना करने वाले व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो सकता है, जो उनके भविष्य के प्रति आशंकाओं को बढ़ा सकता है।
5. सामाजिक दृष्टिकोण: बेरोजगारी समाज में आत्मसम्मान का कमी, समाजिक अलगाव और स्थितिगत असुरक्षा का कारण बन सकती है।
बेरोजगारी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. आर्थिक मंदी: आर्थिक मंदी एक मुख्य कारण हो सकता है जो नौकरी की आपूर्ति को कम करता है और बेरोजगारी को बढ़ाता है।
2. तकनीकी परिवर्तन: तकनीकी और उत्पादकता में परिवर्तन से कई नौकरियां अनुपूर्वित हो सकती हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है।
3. व्यावसायिक विकास: कुछ क्षेत्रों में व्यावसायिक विकास के बढ़ने के साथ, नौकरियों की मांग में वृद्धि होती है, लेकिन इसके बावजूद भी बेरोजगारी बढ़ सकती है यदि कुशलता की मांग न हो।
4. शिक्षा की कमी: कई मामलों में, शिक्षा की कमी बेरोजगारी का कारण बन सकती है, क्योंकि उन्हें उचित या उत्पादक नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल नहीं होते हैं।
5. नौकरी के प्रदाताओं का संगठन: कई बार नौकरी के प्रदाताओं का अव्यवस्थित संगठन और प्रबंधन भी बेरोजगारी का कारण बन सकता है।
इन कारणों के अलावा, राजनीतिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत कारक भी बेरोजगारी को प्रभावित कर सकते हैं।
बेरोजगारी को कम करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:
1. उद्यमिता को संशोधित करना: सरकारें और समाज को उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं और प्रोत्साहन प्रदान कर सकती हैं, जैसे कि उद्यमी कार्यक्रम, ऋण प्रोत्साहन, और व्यवसायिक प्रशिक्षण।
2. शिक्षा का प्रोत्साहन: शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक नीतियों को संशोधित किया जा सकता है ताकि लोगों को उत्पादक और तकनीकी कौशल प्राप्त करने में मदद मिले।
3. नौकरी के अवसरों को बढ़ावा देना: सरकारें नौकरी के अवसरों को बढ़ाने के लिए अनुदान, नौकरी मेला, और नौकरी उत्पादन के लिए प्रोत्साहन दे सकती हैं।
4. कौशल विकास: लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल अर्जित करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है, जिससे उन्हें उचित नौकरी मिल सके।
5. वित्तीय सहायता: बेरोजगार व्यक्तियों को वित्तीय सहायता, ऋण प्रोत्साहन, और बेरोजगारी भत्ता जैसी सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं ताकि वे अपने मानसिक और आर्थिक दबाव से निपट सकें।
इन उपायों को अमल में लाकर बेरोजगारी को कम किया जा सकता है और समाज में रोजगार की मांग को पूरा किया जा सकता है।
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