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'बेरोजगारी, कारण और उपाय' निबंध 1000 शब्दों में

सामान्यतः कहा जाता है 'जिसके पास रोजगार नहीं वह है बेरोजगार'। बेरोजगारी कई प्रकार के होते है, आइये समझते है बेरोजगारी से क्या प्रभाव पड़ता हैं। बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति काम की तलाश करता है, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही होती है। बेरोजगारी के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. नौकरी के लिए उपलब्धता की कमी: बेरोजगार व्यक्ति को नौकरी के लिए संघर्ष करते हुए भी उचित रूप से उपलब्ध नौकरियों की कमी का सामना करना पड़ता है। 2. आर्थिक संकट: बेरोजगारी से ग्रसित व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें आय की कमी होती है और वे अपनी आर्थिक सामर्थ्य में कठिनाई का सामना करते हैं। 3. असंतोष: बेरोजगार व्यक्ति में नौकरी के अभाव से असंतोष की भावना हो सकती है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। 4. आत्मविश्वास की कमी: लंबे समय तक बेरोजगारी का सामना करने वाले व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो सकता है, जो उनके भविष्य के प्रति आशंकाओं को बढ़ा सकता है। 5. सामाजिक दृष्टिकोण: बेरोजगारी समाज में आत्मसम्मान का कमी, समाजिक अलगाव और स्थितिगत असुरक्षा का

तुलसीदास की विशेषताएँ एवं कृतियाँ

तुलसीदास, एक महान संत, कवि, और समाज-सुधारक थे, जिनका योगदान भारतीय साहित्य और धर्म के क्षेत्र में अविस्मरणीय रहा है। उनकी विशेषताएं उन्हें एक अद्वितीय कवि बनाती हैं। यहां कुछ मुख्य विशेषताएं हैं: 1. रामचरितमानस के रचयिता: तुलसीदास ने भगवान राम के जीवन को विस्तृत रूप से वर्णन करने वाले "रामचरितमानस" का रचनाकारी किया। इस ग्रंथ में उन्होंने भगवान राम के लीला, भक्ति, और धर्म को व्यक्त किया। 2. भक्तिभाव: तुलसीदास की कविताओं में भक्ति का भाव अत्यंत प्रभावशाली रहा है। उनकी रचनाओं में भगवान के प्रति उनकी अद्वितीय भक्ति और प्रेम का प्रकटीकरण होता है। 3. साधुत्व और संयम: तुलसीदास जीवन में साधुत्व और संयम की प्राचीन भारतीय शिक्षाओं का पालन करते थे। उन्होंने अपने जीवन में निष्काम कर्म का उदाहरण प्रस्तुत किया। 4. लोकप्रिय भाषा: तुलसीदास ने अपनी कविताओं को अवगत भारतीय जनता तक पहुंचाने के लिए सामान्य भाषा का उपयोग किया। इससे उनकी कविताओं को लोकप्रियता मिली और उनका संदेश व्यापक रूप से प्रसारित हुआ। 5. सामाजिक सुधारक: तुलसीदास को सामाजिक सुधारक के रूप में भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में जात

मलिक मोहम्मद जायसी पर 2000 शब्दों में निबंध

मलिक मोहम्मद जायसी, भारतीय साहित्य के अद्वितीय रत्न में से एक हैं। उनका जन्म 16 अगस्त 1835 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के रहमानपुरा गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम नवाब मोल्ला रघुबीर सिंह था, जो एक ब्राह्मण परिवार से संबंधित थे। जायसी का असली नाम 'नवाब मलिक मोहम्मद अब्दुल्ला' था, लेकिन उन्हें 'जायसी' के नाम से ही जाना जाता है। जायसी की शिक्षा अपने पिता और पंडित बच्चेलाल द्वारा दी गई थी। वे उर्दू, फारसी, अरबी, और संस्कृत भाषाओं के पाठ्यक्रम के साथ-साथ अंग्रेजी भी अच्छे से जानते थे। जायसी ने अपनी कविताओं में समाज के विभिन्न पहलुओं, धर्म, और समाजिक मुद्दों पर विचार किया। उनकी कविताएं साहित्यिक गहराई, तात्पर्य, और उत्कृष्टता से भरी होती थीं। जायसी की प्रमुख रचनाओं में "हुमायूननामा", "जवाहरलालनामा", "असरार-उल-सनादिद", "बालदस", और "जोनाराज" शामिल हैं। उनकी कविताएं उर्दू और हिंदी साहित्य के स्वर्णिम अध्यायों में गिनी जाती हैं और उन्हें उत्कृष्ट कवियों में से एक माना जाता है। जायसी की कविताओं में सामाजिक न्याय, धर्म, और आत

गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध 2000 शब्दों में

तुलसीदास: भारतीय साहित्य के महान कवि प्रस्तावना: तुलसीदास, भारतीय साहित्य के सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रभावशाली कवियों में से एक हैं। उनका जीवन और उनके रचनाकारी कौशल भारतीय साहित्य और धार्मिक परंपरा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस निबंध में, हम तुलसीदास के जीवन, उनके काव्य, और उनके योगदान के प्रति विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। तुलसीदास का जीवन: तुलसीदास का जन्म सन् १५०९ में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जिला प्रयाग (वर्तमान उत्तर प्रदेश के बागपत जिला) में हुआ था। उनके पिता का नाम अतिमहार्षि मुकुंददास और माता का नाम हुलसी था। उनका असली नाम रामचंद्र था, और वे कायस्थ जाति के थे। उनके परिवार में संस्कृत और हिंदी साहित्य के प्रति गहरा श्रद्धा था, और यह उन्हें साहित्यिक रूप से प्रभावित करने में मदद की। तुलसीदास की शिक्षा और आध्यात्मिक जीवन: तुलसीदास को व्याकरण, वेद, पुराण, और साहित्य का अद्वितीय ज्ञान प्राप्त था। उन्होंने नारदपंचरात्र, रामायण, भागवत, महाभारत, उपनिषद, वेदांत, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्हें संस्कृत और अवधी की शिक्षा भी मिली थी। तुलसीदास ने ब्रह्मचर्य

CAA क्या है? आइए जानते है

> CAA का फुल फॉर्म सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (नागरिकता संशोधन अधिनियम) है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आए 6 धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय (हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी। CAA 2019 का उद्देश्य गैर-मुस्लिम प्रवासियों जिनमें हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। CAA 2019 के तहत, भारतीय नागरिकता केवल उन्हें मिलेगी जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लिए हुए थे।इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे। इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन रखी गई है। जिसमें आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए थे। क्या भारतीय नागरिकों को CAA 2019 से पड़ेगा प्रभाव नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA 2019 से भारतीय नागरिकों का कोई सरोकार नहीं है, इस संशोधन से उन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।